कल्पना सोरेन: सियासत में न होकर भी कैसे चर्चा के केंद्र में, आगे क्या होंगी चुनौतियां? हांव म्हज्या आवय-बापायक, शिक्षकांक आनी सगळ्या वडीलांक मान दितलों/लीं आनी सगळ्यांक शिष्ट वागप. हमारी संस्कृति, परंपरा, स्मारक, साहित्य और विभिन्न कलाएं हमारी विरासत का हिस्सा बनती हैं। इन्हें दुनियाभर में सराहा गया है। https://www.samridhbharat.in/